Alert! हाई रिटर्न का लालच पड़ेगा भारी, जानें- NSE ने कहां निवेश न करने की दी सलाह
कॉन्ट्रैक्ट फॉर डिफरेंस ऐसे कॉन्ट्रैक्ट हैं, जिसमे अंडरलाइंग की वैल्यू निवेशक के लिए मायने नहीं रखती है. कॉन्ट्रैक्ट शुरू होने और बंद होने के बीच कीमत के अंतर के आधार पर कमाई होती है.
NSE का कहना है कि निवेशक कॉन्ट्रैक्ट फॉर डिफरेंस/बाइनरी ऑप्शंस जैसे डेरिवेटिव प्रोडक्ट में हाई रिटनर्न के लालच से बचें. (reuters)
NSE का कहना है कि निवेशक कॉन्ट्रैक्ट फॉर डिफरेंस/बाइनरी ऑप्शंस जैसे डेरिवेटिव प्रोडक्ट में हाई रिटनर्न के लालच से बचें. (reuters)
नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) ने निवेशकों को अनरेगुलेटेड डेरिवेटिव प्रोडक्ट को लेकर आगाह किया है. NSE का कहना है कि निवेशक हाई रिटर्न के झांसे वाले अनरेगुलेटेड डेरिवेटिव प्रोडक्ट के लालच में न फंसे. इससे वे बड़े नुकसान में पड़ सकते हैं. NSE का कहना है कि निवेशक कॉन्ट्रैक्ट फॉर डिफरेंस/बाइनरी ऑप्शंस जैसे डेरिवेटिव प्रोडक्ट में निवेश न करें. कुछ स्टार्टअप प्लेटफार्म पर कॉन्ट्रैक्ट फॉर डिफरेंस/बाइनरी ऑप्शंस के कॉन्ट्रैक्ट चल रहे हैं.
ऐसे प्लेटफार्म SEBI में रजिस्टर्ड नहीं
नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का कहना है कि देश में कुछ इंटरनेट बेस्ड अवैध प्लेटफार्म पर इस तरह के ऑफर निवेशकों को दिए जा रहे हैं. ऐसे प्लेटफार्म मार्केट रेगुलेटर सेबी में रजिस्टर्ड नहीं हैं और प्रोडक्ट को भी मंजूरी नहीं मिली है. इन प्लेटफॉर्म पर निवेशकों को इस तरह के प्रोडक्ट में हाई रिटर्न का लालच दिया जा रहा है. निवेशकों को इनसे बचकर रहने की सलाह दी जा रही है.
NSE के अनुसार एक्सचेंज ने यह नोटिस किया कि कुछ अनरेगुलेटेड प्लेटफॉर्म या वेबसाइट कुछ अनरेगुलेटेड डेरिवेटिव प्रोडक्ट्स में ट्रेडिंग ऑफर कर रही हैं, जिन्हें कॉन्ट्रैक्ट फॉर डिफरेंस (CFD) या बाइनरी ऑप्शंस कहा जाता है. जिसके बाद NSE ने यह चेतावनी जारी की है.
क्या होते हैं कॉन्ट्रैक्ट फॉर डिफरेंस
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ऐसे कॉन्ट्रैक्ट जिसमे अंडरलाइंग की वैल्यू निवेशक के लिए मायने नहीं रखती है. कॉन्ट्रैक्ट शुरू होने और बंद होने के बीच कीमत के अंतर के आधार पर कमाई होती है. बाजार की भाषा में कह सकते हैं कि CFD एक खरीदार और एक विक्रेता के बीच एक कांट्रैक्ट है, जो यह निर्धारित करता है कि खरीदार, विक्रेता को एक एसेट की मौजूदा वैल्यू और कांट्रैक्ट टाइम पर उसके वैल्यू के बीच अंतर का भुगतान करेगा. US और भारत जैसे मार्केट में ऐसे कॉन्ट्रैक्ट की मंजूरी नहीं है. UK, स्पेन, हॉन्ग कॉन्ग और सिंगापुर जैसे मार्केट में सीमित छूट के साथ इसकी मंजूरी है.
क्या है बाइनरी ऑप्शन
बाइनरी ऑप्शन एक निश्चित भुगतान के साथ एक तरह का विकल्प है, जिसमें एक निवेशक दो संभावित रिजल्ट से आउटकम का अनुमान लगाता है. अगर अनुमान सही है, तो निवेशक को मुनाफा होता है. अगर अनुमान सही नहीं होता है तो निवेशक शुरूआती हिस्सेदारी खो देता है. इसे 'बाइनरी' कहा जाता है क्योंकि इसके केवल 2 परिणाम हो सकते हैं- जीत या हार.
02:35 PM IST